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Bicho Chikitsa Book - Hindi - Medical House
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बिच्छू विष चिकित्सा
लेखक डा० हरिनाथ माणि (रजिस्टर्ड मेडिकल प्रक्टिश्नर)
इस पुस्तिका में बिच्छू के डंक की एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, होमि-योपैथिक तथा बिजली से चिकित्सा विस्तारपूर्वक लिखी गई है।
मेडिकल हाउस ३६५६ कुतब रोड, देहली-६
Sample Book :
बिच्छू काटने के लक्षण
किसी भी प्रकार का बिच्छू काटे, प्रारम्भ में बिच्छू का विष अम्नि के समान दाह (जलन) और भेदन (हड्डी टूटने के समान भयंकर पौड़ा) उत्पन्न करता है, दंशित मनुष्य 'बिच्छू का काटा रोने' इसके अनुसार दुःखी होकर रो ही पड़ता है। विष विद्युत के समान तीव्र गति से शीघ्र ही ऊपर की घोर चढ़ता तया फैलता चला जाता है, किन्तु बाद में दंश (काटने के) स्थान पर बाकर ठहर जाता है।
जब प्राणहा बिच्छू के काटने पर हृदय, नाक और जिह्वा अपना-अपना कार्य छोड़ देते हैं। मांस गल-गल कर गिरने लगता है और दंशित मनुष्य भयंकर वेदनाओं से पीड़ित होकर प्राणों से हाथ धो बैठता है। बिच्छू का विष गाढ़ा तेल जैसा पीले रंग का तरल है, जिसका घनत्व लगभग १०६२ होता है। साधारण बिच्छू के काट लेने पर नाड़ी कमजोर हो जाती है, सांस तेजी से थाने लगता है, अंगों में अकड़न पैदा हो जाती है। मस्तिष्क में सोचने के शक्ति में दोष आ जाने के कारण सोचने की शक्ति नए होकर वहम पैदा हो जाता है। स्त्री का गर्भ गिर जाने की आशंका रहती है।
चिकित्सा के सिद्धान्त
सांप काटे के अनुसार ही है। डक के स्थान को चीर-कर विष वाला रक्त निकालने, विष चूसने, पोटाशियम परमेगनेट घाव में प्रवेश करके प्रभावहीन बना देनी सब विधियाँ प्रयोग में लायें ।
बिच्छू दंश से बचने के उपाय
जो लोग पर्याप्त मूली व खीरा खाने के अभ्यासी है एवं आम का बौर हाथ व पैरों के तलवों में खूब रगड़ रगड़कर लगाने के अभ्यासी हैं उन्हें बिच्छू नहीं काटते हैं। यह मेरा खुद का अनुभव है। मैं उपरोक्त उपाय हमेशा करता हूं, फलस्वरूप चाहे विच्छ को पैर से कुचल दूं चाहे हाथ में लेकर मसल दूं। मुझे बिच्छू नहीं काटता है। यह उपरोक्त विधि का ही फल है। यह कोई झूठ नहीं बिल्कुल सत्य है।
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